मेरी उलझन
मैं १८ साल का हूँ और दिल्ली में फर्स्ट इयर में पढता हूँ. मैं बाकी सभी लड़कों की तरह लड़कियों में भरपूर दिलचस्पी रखता हूँ, पर कुछ महीनों पहले जब एक सामान्य दिखने वाले लड़के ने मुझमे दिलचस्पी दिखाई तो मैं उसके साथ अनजाने में ही बंधता गया. मैंने अपने आप को बहुत रोकना चाहा पर मजबूर हो गया. मेरा वो दोस्त बहुत अच्छा है, पर मैं उससे डरता हूँ क्योंकि मैं 'गे' नहीं बनना चाहता. क्या आपको लगता है कि मैं 'गे' हूँ (मेरा दोस्त अपने आप को गे नहीं मानता, और इससे मुझे और कन्फ्यूज़न होती है). मुझे 'गे' नाम से ही नफरत है. मैं क्या करुँ?
ये बात समझाना कुछ मुश्किल है, पर कोशिश करता हूँ.
ये होमो-हेट्रो की दीवार पश्चिमी सभ्यता की पुरुषों को पुरुषों से तोड़ने की साजिश है, जो बीमारी अब भारत के तीव्र पाश्चात्यीकरण के साथ-साथ, हमारे समाज में भी फैल गई है. यह दीवार अप्राकृतिक और अवैज्ञानिक है.
सच तो यह है कि लगभग सभी पुरुषों में दोनों लिंगों (पुरूष व स्त्री, या कभी-कभी तृतीय प्रकृति के नरों) के प्रति यौन आकर्षण कुदरती रूप से होता है. सामाजिक दबाव के कारण पुरुषों के प्रति यौन भावना दब जाती है, पर अगर उसे कोई उभार दे तो वह फिर उभर सकती है.
सच तो यह है कि पुरूष से सम्बन्ध बनाने से आप 'गे' या 'होमोसेक्सुअल' नहीं बनते. अगर आप 'गे' का इतिहास पढ़ें तो ये बात साफ़ है कि हमेशा, केवल तृतीय प्रकृति (स्त्री प्रकृति के नर) जो कि अपनी गुदा को योनि की तरह इस्तेमाल कर के पुरुषों से गुदामैथुन करवाना चाहते थे, उन्हें ही हर सदी में 'गे' माना गया है, पुरुषों से अलग श्रेणी में रक्खा गया है, व तरह-तरह के नामों से जाना जाता रहा है, जैसे कि, कोति, हिजड़ा, पन्डका, कैटामाईट, आदि. पर दो पुरुषों के बीच का प्रेम कभी भी इस 'गे' कि श्रेणी में नहीं आया. बल्कि, कभी इसे मर्दानगी का प्रतीक माना जाता था. उदाहरण के लिए, सिकंदर महान ने भी अपने युग के बाकी पुरुषों की तरह पुरूष से प्रेम किया पर वह कैटामाईट या होमो नहीं था.
पाश्चात्य समाज ने तृतीय प्रकृति की परिभाषा बदल के उसे 'पुरूष-पुरूष प्रेम' के रूप में परिभाषित करके, इस प्रेम को बदनाम कर के पुरुषों के लिए वर्जित करने की साजिश रची है.
मेरी उम्र २७ वर्ष है. मैं शादी-शुदा हूँ पर पिछले कुछ महीनों से मेरा मन sex में नहीं लगता. क्या ये सामान्य है या मुझे कोई बीमारी है.
सेक्स की इच्छा के कम होने के बहुत से कारण हो सकते हैं. और हर किसी के जीवन में इस तरह के दौर आते हैं, और फिर अपने आप चले जाते हैं. अक्सर ये आज कल की भाग दौड़ वाले जीवन के तनाव की वजह से हो सकता है. किसी और काम में लम्बी व्यस्तता, या दिमागी उलझन की वज़ह से भी ये हो सकता है. ये तनाव दूर होने से आप की सेक्स लाइफ दोबारा सामान्य हो सकती है. आप इसके लिए योग व मेडिटेशन आदि का सहारा भी ले सकते हैं.
इसके दूसरे कारण भी हो सकते हैं. कुछ तरह की दवाइयाँ जैसे, रक्त चाप व तनाव की दवाएं अगर लंबे समय तक ली जायें तो ये सेक्स की इच्छा कम कर सकती हैं. डायबिटीस जैसी बीमारियाँ भी सेक्स की इच्छा कम कर सकती हैं. ये होर्मोन्स की कमी की वजह से भी हो सकता है. इसीलिए, आप को एक डॉक्टर की सलाह भी लेनी चाहिए.
मैंने सुना है की खून से भी ऐड्स हो सकता है. क्या नाइ के उस्तरे से भी हो सकता है?
एच आई वी का कीटाणु ग्रसित व्यक्ति के शारीरिक द्रव्यों में रहता है, जिनमे खून भी शामिल है. ये रक्त अगर नाइ के उस्तरे पर लग जाए तो जब तक इस खून में नमी रहेगी यह कीटाणु जीवित रहेगा और दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. इसीलिए समझदारी इसीमे है कि उस्तरा ब्लेड बदल कर प्रयोग किया जाए.
मेरी शादी को चार साल हुए हैं. मैंने अपनी प्रेमिका के साथ असुरक्षित सेक्स किया और अगले दिन अपनी पत्नी के साथ भी सम्भोग किया. अब वो गर्भवती है और काफ़ी बीमार रहती है. क्या यह लक्षण ऐड्स के हो सकते हैं?
हालांकि, ऐड्स का कीटाणु असुरक्षित सेक्स के द्बारा एक से दूसरे में फैलता है, पर इसके लिए पहले व्यक्ति को भी ऐड्स होना चाहिए. अगर आपकी प्रेमिका एच आई वी से ग्रसित है, तभी वो कीटाणु पहले आप को और फिर आपकी पत्नी को मिलेगा. और एच आई वी संक्रमण के बाड़ ऐड्स बीमारी बनने में काफ़ी समय लगता है. इस की सम्भावना कम है की आपकी पत्नी को ऐड्स होगा, पर आप को भविष्य में सावधान होने की ज़रूरत है, क्योंकि आप अपने यौन व्यवहार से कई जीवन को खतरे में डाल सकते हैं. आप को चाहिए की आप अपनी पत्नी की ठीक तरह से मेडिकल जांच करवाएं.
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